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भारत में कृषि की परंपरा हजारों वर्ष पुरानी रही है। कृषि ही भारतीय संस्कृति का आधार बनी और नदियों के किनारे पनपीं इस सभ्यता ने पूरे विश्व पर छाप छोड़ी है। कृषि इससे जुड़े उद्योग-धंधों तीज-त्यौहरों ने ही भारत को सांस्कृतिक आर्थिक और सामाजिक रूप से संपन्न और समृद्ध बनाया। हल के पीछे चलता व्यक्ति ही देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अहम रहा है। देश की आत्मा को समझने की शुरूआत भारत के गांव-देहात…यहां के किसानों के जीवन से शुरू होती है और बापू ने भी अफ्रीका से आने के बाद सबसे पहले भारत के इसी सामर्थ को ढूँढने का प्रयास किया। बापू ने गांव के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को समझा। बापू के बाद पंडित दीन-दयाल उपाध्याय जी ने गांव के सामर्थ को पहचाना और मंत्र दिया हर खेत को पानी और हर हाथ को काम। और इसी अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी जी ने हल के पीछे चल रहे आदमी की सुध ली और देश को समर्पित किया दूरदर्शन किसान। देश के किसानों कारीगरों बुनकरों हस्तशिल्पकारों दस्तकारों बुनकरों महिला किसानों की आवाज बनेगा दूरदर्शन किसान। दूरदर्शन किसान के द्वारा किसानों को कृषि लागत में कमी करने के उपाय जैविक व पर्यावरण हितैषी खेती के साथ उन्नत तकनीकें नई-नई प्रासंगिक खोजों की जानकारी दी जाएगी साथ ही मौसम की सामयिक जानकारी और मंडी के भाव पर भी नजर रहेगी। यह चैनल अपने आप में दुनिया का पहला ऐसा टीवी चैनल होगा जो पूरी तरह ग्रामीण भारत खासकर किसानों को समर्पित होगा।
देशभर में चैनलों की भरमार के बीच कोई भी ऐसा चैनल नहीं है जो किसानों के लिए और किसानों की बात करे। दूरदर्शन किसान देश के किसानों खेत-मजदूरों कामगारों का मंच होगा और ग्रामीण भारत की सही तस्वीर पेश करेगा।
दूरदर्शन किसान सरकारी नीतियों और जमीन पर हो रही कार्रवाई से तो अवगत कराएगा ही साथ ही नीतियों की दिशा तय करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। कमरतोड़ मेहनत के बदले अच्छे दाम मिलें इसकी सलाह भी दूरदर्शन किसान में रहेगी और श्रम नियोजन के साथ मूल्य संवर्धित उत्पादों की जानकारी भी देना दूरदर्शन किसान का प्रमुख दायित्व रहेगा। अगर मौसम की जानकारी किसानों को अच्छी उपज लेने के रास्ते सुझाती है तो मंडी के भाव की जानकारी किसानों को अपनी उपज के सही दाम लेने का जरिया बनती है। खेती-किसानी विज्ञान पर्यावरण आर्थिकी और मनोरंजन से सजा दूरदर्शन किसान…ग्रामीण जीवन के उन पहलुओं को छुएगा जो अनछुए रह गए थे…
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